बुधवार, 18 मार्च 2015

माँ अकेली रह गई

आज पढ़ें उस माँ की स्थिति मेरी नज़र से  जिसके बच्चे किसी भी कारणवश उससे दूर रहते हों … अपनी प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करें। 


सब अकेली ही करती है आज माँ, 
माँ आज अकेली ही रह गई। 
सबको एक सूत्र में बांधती वो ,
दो लायक बच्चों की माँ.……  
आज अकेली ही रह गई। 

सबको साथ बिठाकर गरमा गर्म खिलाती थी जो,
आज सुबह का बना खाकर ही सो गई। 
दो बच्चों को हाथ पकड़ स्कूल छोड़ने जाती थी जो, 
आज अकेली सड़क पार करने को मजबूर हो गई। 

बेटा कमाने की चाह में,
तो बेटी ससुराल से निभाने की राह में चल पड़े। 
और इन्हें इस काबिल बनाने वाली ,
इन्हें यहाँ तक लाने वाली वो माँ ,
आज अकेली ही रह गई। 

वो खाना बनाती मैं ,सफ़ाई कर दिया करती थी। 
आज घुटने पकड़कर, उठकर, बैठकर,सबकुछ अकेली ही करती रह गई। 
वो लिस्ट बनाती, भाई सामान ले आता था ,
आज अकेली मॉल में घूम-घूमकर सब सामन जुटाती रह गई। 

हमारे हर दर्द पर दस दवाईयाँ लगा देने वाली माँ,
अपनी कमर पकड़ कराहती रह गई। 
हमारी तकलीफ में जागती थी जो रात रात भर,
आज स्व तकलीफ़ में उसकी पूरी रात यूँ आँखों में कट गई। 

जब सब करने में सक्षम थी ,मैं हर मदद कर देती थी उसकी,
आज न कर पाने की मजबूरी उसकी है,
पर साथ देने की मेरी ख्वाहिश दिल में ही रह गई। 
सब अकेली ही करती है आज माँ, 
माँ आज अकेली ही रह गई। 

सबको एक सूत्र में बांधती वो,
दो लायक बच्चों की माँ.……  
आज अकेली रह गई। 
(स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google

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