रविवार, 15 मार्च 2015

बेटी हूँ मैं

बेटी हूँ मैं,
मुझे बेटा कहकर न बुलाओ। 
बेटी रहकर भी बेटे का फ़र्ज़ मैं निभा सकती हूँ, 
बेटा कहकर यूँ मेरा अस्तित्व न मिटाओ। 

मत करो तुलना उस बेटे से मेरी 
अंत समय जो माँ का सहारा न बना 
पूरा जीवन उस पर लुटा देने वाली माँ की,
बूढ़ी अँखियों का जो उजियारा न बना,

बेटी हूँ मैं गर्व से कहूँगी 
अपनी माँ के लिए हर दर्द सहूँगी। 

बेटी हूँ मैं,
मुझे बेटा कहकर न बुलाओ। 
बेटी रहकर भी बेटे का फ़र्ज़ मैं निभा सकती हूँ, 
बेटा कहकर यूँ मेरा अस्तित्व न मिटाओ। 

मत करो तुलना उस लाड़ले बेटे से मेरी 
ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाने वाले पिता का,
निर्दयता से जिसने  हाथ छोड़ दिया ,
अंत समय में उनकी डूबती नैया का साथ छोड़ दिया। 

बेटी हूँ मैं गर्व से कहूँगी
पिता के जीवन को स्वर्ग मैं यहीं करूंगी 

बेटी हूँ मैं,
मुझे बेटा कहकर न बुलाओ। 
बेटी रहकर भी बेटे का फ़र्ज़ मैं निभा सकती हूँ, 
बेटा कहकर यूँ मेरा अस्तित्व न मिटाओ।
(स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google

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8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. Thanku PAPA... हर बार आपके प्रोत्साहन से ही मेरे जीवन में कुछ नया शुरू हो पाता है।आपकी कृतज्ञ हूँ।

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद भैया plz keep reading अभी और भी बहुत कुछ लिखना बाकी है।

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  3. उत्तर
    1. Thanku so much RENU JI
      plz keep reading...अभी और भी बहुत कुछ लिखना बाकी है।

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